Thursday 4 April 2013

“कर्तव्यों के उपरांत अधिकार”


कर्तव्यों के उपरांत अधिकार
      जिजीविषा और महत्वाकांक्षा से परिपूर्ण सामाजिक परिपाटी के परकोटे मैं आस, प्यास और विश्वास पनपते हैं I अधिकारवाचक कारक का सृजन इन्ही तीन मूल मानसिक अवस्थाओं की देन  है I अधिक विवेचना हेतु इन अवस्थाओं के प्रचलित रूप आस अर्थात तमोगुण, प्यास अर्थात रजोगुण एवं विश्वास अर्थात सतोगुण के सापेक्ष चिंतन वांछित है I
      संस्कारों का जीवनकाल मैं क्रम निश्चित है जहां सामाजिक व्यवस्था मैं साम्य हेतु संस्कारों एवं नियमनों का परिष्कृत निकाय युगों की विचारधारा से सृजित हुआ है वहीं  मनीषियों की विशिष्ट सारगर्भित सूक्तियों ने विचारशीलता को गतिमान रखा है I
      पूर्वनिर्मित निकाय के विरुद्ध जब पथभ्रष्ठ इकाई कुचेष्टा करती है तब असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है I इस आस, प्यास और विश्वास के विकल्प युक्त चुनाव की दुविधा मैं जब मनुष्य संस्कारों से समझौते की अक्षम्य भूल कर बैठता है तब समस्त मानसिक अवस्थाएँ आपके ही द्वारा खड़ी की गईं समस्याओं द्वारा आप का घेराव कर लेती हैं I
      कर्तव्य और अधिकार जीवन मैं अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं एवं क्रमबद्ध पालन द्वारा ही पालनकर्ताओं की साख निर्धारित होती हैं I दोनों एक दूसरे के पूरक हैं एवं परस्पर घनिष्ठ संबंधों मैं गुथे  है I कर्तव्य के पूर्व अधिकार कदाचित उचित नहीं हैं, अधिकारोपरांत प्रतिक्रिया और पीड़ितों के कोपभाजन द्वारा विचारों को सशक्त समर्थन प्राप्त है I
      साधारणत: कर्तव्यों का अर्थ नियमित दिनचर्या मैं आने वाली जिम्मेदारियों से है I हमारे समाज एवं परिवार के प्रति कर्तव्यों से है जिनके निर्वाह एवं परिपालन हेतु ही हमें पारिवारिक एवं सामाजिक जिम्मेदारियों ने चुना है I
      सदैव जो विचार सहायता करता है वह है हम सभी के लिए और सभी हमारे लिए I
      अधिकार सदैव भविष्यलक्षीय कर्तव्यों पर निर्भर करते हैं और कर्तव्यों के उपरांत अधिकार विचार का सृजन होता है, जो सर्वसम्मति से सर्वसाधारण मैं सर्वस्वीकार्य है I
      विचार वैयक्तिक एवं दृष्टि सीमा मैं रखे गए हैं और प्रयोगिक परीक्षणोपरांत ही आप के समक्ष प्रस्तुत हैं I
      आप भी कर्तव्यों के उपरांत अधिकार विचार पर चिंतन एवं सुधार हेतु प्रतिक्रिया  देकर  सहयोग करें I
                                                                                                      
लेखक: आशुतोष 'अनिल' विश्नोई 

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