मेरी कहानी
किसी ने सही कहा है “प्यारे ये सपनों का शहर है मुंबई”I मैं यहाँ नया हूँ
पर इस शहर को जहां तक समझा हूँ वो इतना की यहाँ हर मन मैं एक अजेय सपना पलता है और
हर मुंबईकर अपना पूरा जुनून उसे पूरा करने मैं लगा देता है I
आज
जो ईंट-गारे का अपने मैं एक पूर्ण निकाय-रूपी-संसार हम यहाँ पाते हैं वह
विश्वकर्मावाद का भौतिकीकरण प्रतीत होता है I
पूर्वजों के सपनों को सँजोये हुए अपनी विरासती सोच को आगे बढ़ाती
पीढ़ियाँ यहाँ जुनून की हर हद पार कर रहीं हैं I यहाँ पर हर मन मैं एक राजा है जो सृजनात्मकता की चरम चोटी तक प्रजा का भला
चाहता है I
कई सिकंदरों से मैं मिल चुका हूँ और उनमें से एक बनने का स्वप्न
खुली आँख से देखता हूँ, और मैं इसे
पूर्ण भी करूंगा यह खुद से खुदी का वादा है I
बचपन मे मैं बहुत जिज्ञासु था माँ-पिताजी से दिन-भर सवाल करता था
और वो, हर बार हँस कर जवाब देते रहते थे, खुश होते थे की हमारा गुणज अच्छा है I मैं बड़ा हुआ
और एक गाना जो ज़ुबान पर चढ़ा वो था “पापा कहते हैं बड़ा नाम
करेगा, बेटा हमारा ऐसा काम करेगा ..........”I
बाड़ी की बस्ती जो बारना परियोजना के तहत कुछ साठ-सत्तर के दशक
मैं बसी थी, उस बस्ती से निकलकर आज विश्व के
दूसरे सबसे बड़े शहर तक का सफर हो चुका है, आज भी पापा कह रहे
हैं, और शायद उस छोटी बस्ती का लड़का बड़ा नाम कर रहा है I
एक बात जो बड़े-बड़े लोगों के बारे मैं सोचता था की ये लोग क्या एक
दूसरे को जानते हैं जो मिलते ही हाथ मिलाते हैं, गले लगते हैं, मित्रवत वो सब करते हैं जो लंगोटिया
यारों के काम होते हैं I
पर आज शायद वह सब दुनियादारी समझ मैं आने लगी है, कि एक मुक़ाम पर सभी राजा एक सा सोचते हैं, प्रजा का भला I
बड़े
से बड़ा राजा बिना योग्यता के अपना ताज नहीं बचा पाया I राजा के गुण पैतृक नहीं हैं वरना आज हम
किसी प्राचीन विरासत का हिस्सा होते I और आशा है कि सामयिक
समाजशास्त्री शायद मेरी हाँ मैं अपनी भी हाँ देखते I
गोद, झूले, तीन पहियों कि गाड़ी से सफ़र एक सौ चौबालीस पहियों की “लोकल” (शहरी-रेलगाड़ी) पर दौड़ रहा है I युधिष्ठिर ने यक्ष प्रश्न का उत्तर भी सटीक दिया था कि सबसे तेज़ है मन, इसे बाँधना जितेंद्रिय के लिए भी दुष्कर है I
जितना जिजीविषा और उमंग मुझे सीखा पायी है, वह है कि, इस
राज्यवाद की माया मैं दो दशकों का ही संघर्ष है तदुपरांत माया का आलिंगन आप को
परिलक्षित उद्देश्य मैं संविलित कर देता है I आस-पास जिसने
भी मील के पत्थर गाड़े हैं, अवधि कि पुष्टि करते हैं I
...............................................................................................................................................ज़ारी
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